फैटी लिवर का इलाज करने से पहले डॉक्टर मरीज को कुछ निर्देश देते हैं, अगर मरीज उन निर्देशों का ठीक से पालन करे तो फैटी लिवर को ठीक करना निश्चित रूप से आसान हो सकता है। डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों में शामिल हैं:
शराब का सेवन और धूम्रपान कम करें: शराब या धूम्रपान का सेवन बंद करना बहुत जरूरी है। यदि रोगी ऐसा नहीं करता है तो यह समस्या लीवर सिरोसिस या लीवर फेलियर का कारण बन सकती है। वजन कम होना: आहार में बदलाव और नियमित व्यायाम के साथ धीरे-धीरे वजन कम होना स्थिति को सामान्य करने का एक महत्वपूर्ण कारक है। कोलेस्ट्रॉल स्तर कम करना: उच्च कोलेस्ट्रॉल स्तर, हाइपरलिपिडिमिया वाले मरीजों को डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए और स्वयं औषधि लेनी चाहिए। कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर फैटी लिवर की समस्या को और भी बदतर बना देता है। रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रण में रखना: रक्त शर्करा के स्तर की नियमित निगरानी की जानी चाहिए क्योंकि इंसुलिन प्रतिरोध से रोगियों में उच्च रक्त शर्करा का स्तर बढ़ जाता है। ज्यादा मीठी चीजों का सेवन करने से बचें। लीवर ट्रांसप्लांट: खराब मामलों में जहां लीवर का एक बड़ा हिस्सा स्थायी रूप से खराब हो जाता है, तो मरीज को लीवर ट्रांसप्लांट की सलाह दे जाती है। लीवर ट्रांसप्लांट भारत के कुछ बेहतरीन हेपेटोलॉजी द्वारा किया जाता है यदि आप लिवर ट्रांसप्लांट के लिए बेस्ट हॉस्पिटल के नाम जानना चाहते है। तो इसके बारे में हम आपको बताएंगे। यदि आप सस्ती कीमत पर लिवर ट्रांसप्लांट कराना चाहते हैं तो GoMedii इसमें आपकी बेहतर तरीके से मदद करेगा। भारत में लीवर ट्रांसप्लांट का खर्च कितना है? लिवर ट्रांसप्लांट एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें रोगग्रस्त लिवर को निकालकर स्वस्थ लिवर में प्रत्यारोपित किया जाता है। मरीज के लीवर की स्थिति बहुत खराब होने पर डॉक्टर लीवर ट्रांसप्लांट करते हैं। ऐसा होने पर लिवर अपना सामान्य काम नहीं कर पाता, इसीलिए डॉक्टर लिवर ट्रांसप्लांट की सलाह देते हैं। भारत में लीवर ट्रांसप्लांट का खर्च 17 लाख रुपये से शुरू होता है। फैटी लीवर के कारण क्या हैं? आपको बता दें कि कुछ मुख्य कारण हैं, जो फैटी लिवर की समस्या को बढ़ावा देने का काम कर सकते हैं। इन्हीं कारणों को हम कुछ बिंदुओं के जरिए समझाने की कोशिश कर रहे हैं। फैटी लिवर के कुछ कारण इस प्रकार हैं: अतिरिक्त कैलोरी: आहार में अतिरिक्त कैलोरी से भरपूर आहार का सेवन करने से लीवर में वसा का निर्माण हो सकता है। लिवर में यह अतिरिक्त फैट फैटी लिवर की समस्या पैदा कर सकता है। लिवर की कार्यक्षमता कम होना: फैटी लिवर के मुख्य कारणों में यह कारण बहुत महत्वपूर्ण है। जब लीवर की प्रक्रिया किसी कारणवश प्रभावित हो जाती है तो वह वसा के टूटने की प्रक्रिया को अंजाम नहीं दे पाता है। नतीजतन, अतिरिक्त चर्बी लीवर में जमा हो जाती है। इससे फैटी लिवर की समस्या हो सकती है। तेजी से वजन कम होना: तेजी से वजन घटाने की प्रक्रिया में कई लोगों को फैटी लिवर नामक समस्या हो जाती है। आवश्यक आहार के अभाव में लीवर की कार्यप्रणाली प्रभावित हो सकती है। नतीजतन, खाया गया भोजन सीधे लीवर में वसा के रूप में जमा हो सकता है। कुछ बीमारियाँ: मोटापा, मधुमेह और उच्च ट्राइग्लिसराइड्स (रक्त में पाया जाने वाला एक प्रकार का वसा) जैसी समस्याएं लीवर के खराब होने के जोखिम को बढ़ा सकती हैं। ऐसे में फैटी लिवर होने के चांस बहुत ज्यादा होते हैं। शराब का सेवन: शराब के अधिक सेवन से भी फैटी लिवर की समस्या हो जाती है। अगर इसे समय रहते नियंत्रित नहीं किया गया तो लिवर के पूरी तरह खराब होने का खतरा बढ़ सकता है। फैटी लीवर के लक्षण क्या हैं? फैटी लिवर की समस्या बहुत आम है। इसलिए फैटी लिवर के लक्षण शुरूआती दिनों में दिखाई नहीं देते हैं। जब तक फैटी लिवर के लक्षण दिखाई देते हैं, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। विशेषज्ञों का मानना है कि गैर-अल्कोहल फैटी लिवर रोग कई वर्षों तक बिना किसी लक्षण के लिवर को नुकसान पहुंचा सकता है। इससे जुड़े लक्षण तभी दिखाई देते हैं जब समस्या बढ़ जाती है। लक्षणों की पहचान इस प्रकार की जा सकती है:
फैटी लिवर की जांच के लिए टेस्ट? एक बार जब आप कुछ दिनों तक लगातार उपरोक्त लक्षणों का अनुभव करते हैं, तो आपको हेपेटोलॉजिस्ट से परामर्श करना चाहिए। डॉक्टर लक्षणों के आधार पर आपसे कुछ सवाल पूछेंगे। यदि आपको लिवर की बीमारी है या शराब, धूम्रपान आदि का पारिवारिक इतिहास है तो आपको अपने डॉक्टर को अवश्य बताना चाहिए। इसके अलावा, डॉक्टर कुछ टेस्ट करवाने के लिए कहेंगे, जिनमें शामिल हैं:
यदि आप फैटी लिवर की बीमारी है और आप इससे संबंधित कोई भी सवाल पूछन चाहते हैं तो यहाँ क्लिक करें या आप हमसे व्हाट्सएप (+91 9654030724) पर संपर्क कर सकते हैं। Comments are closed.
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September 2022
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